Chandrayaan-3: आखिर क्या था अमेरिका का प्रोजेक्ट ए119, जिससे चांद के अस्तित्व पर मंडराया खतरा

इस समय पूरी दुनिया की निगाहें भारत के द्वारा लांच की गई chandrayaan-3 पर टिकी हुई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह चंद्रमा की सतह पर 23 अगस्त को सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला है। ऐसे में सभी लोगों की निगाहें 23 अगस्त तक chandrayaan-3 पर ही रहने वाली है।

जहां लोग चंद्रमा की सतह पर लैंड कर वहां के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं वहां एक ऐसा देश भी है जो एक समय न्यूक्लियर बम के माध्यम से चंद्रमा को उड़ाना चाहता था।

जी हां यह बात सुनने में थोड़ी अजीब लग रही है लेकिन यह बात हकीकत है और यह बात आज से कुछ समय पहले की है।

अब अगर आप जानना चाहते हैं कि किस देश ने ऐसा करने का प्रयास किया था और क्यों किया था तो आप इस वक्त बिल्कुल सही जगह पर है।

हम आज आपको अपने इस आर्टिकल के माध्यम से chandrayaan-3 के बारे में तो बताने वाले हैं।

लेकिन इसके साथ-साथ हम आपको यह भी बताएंगे कि आखिर किस देश ने न्यूक्लियर बम से चंद्रमा को उड़ाने का प्लान बनाया था और क्यों बनाया था।

अगर यह सारी जानकारी आप प्राप्त करना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ते रहे।

अमेरिका ने बनाया था चंद्रमा को उड़ाने का प्लान

यह बात साल 1950 की है। उस समय अमेरिका एक सफल देश था और पूरी दुनिया में अमेरिका का लगभग वर्चस्व हो गया था।

उस समय अमेरिका की सरकार और अमेरिका के वैज्ञानिकों द्वारा चंद्रमा को न्यूक्लियर बम से उड़ाने का प्लान बनाया गया।

इस प्रोजेक्ट का नाम अमेरिका के वैज्ञानिकों द्वारा ए119 रखा गया। इस प्रोजेक्ट का इस्तेमाल कर अमेरिका चांद की सतह को उड़ाना चाहता था।

ताकि दुनिया का कोई भी देश चांद के बारे में पता ना लगा सके और चांद का नामो निशान अंतरिक्ष से खत्म हो जाए।

हालांकि अमेरिका का यह प्लान और यह प्रोजेक्ट सफल नहीं हो पाया इसके अलावा हम यह भी कह सकते हैं कि अमेरिका ने इसकी कोशिश भी नहीं की।

जब प्लान बन रहा था उस समय जब इस प्लान के बारे में अमेरिका के सेना को पता चला तो अमेरिकी सेना ने साफ इस प्लान को अंजाम देने से मना कर दिया।

उनका कहना था कि अगर हम इस प्रोजेक्ट में फेल होते हैं तो इसका असर पूरी पृथ्वी पर पड़ सकता है और कई देश इसके चपेट में आ सकते हैं।

इसी कारण से इस प्रोजेक्ट को खत्म कर दिया गया और चांद न्यूक्लियर बम से उड़ने से बच गया।

आखिर अमेरिका ने क्यों बनाया चांद को उड़ाने का प्लान

अब लोगों के दिमाग में यह सवाल आ रहा होगा कि आखिर किस कारण से चांद को अमेरिका न्यूक्लियर बम के माध्यम से उड़ाना चाहता था।

हम आपको बता दे कि साल 1950 में सोवियत संघ लगातार अंतरिक्ष में अपना सैटेलाइट भेज रहा था और अंतरिक्ष के बारे में जानकारी प्राप्त कर रहा था।

अमेरिका भी अंतरिक्ष में अपना सेटेलाइट भेजने की पूरी कोशिश कर रहा था लेकिन वह ऐसा करने में सफल नहीं हो पा रहा था।

यही कारण है कि अमेरिका ने अब यह फैसला कर लिया कि लह चांद को ही उड़ा देगा।

क्योंकि अगर चांद रहेगा ही नहीं तो चांद पर कोई अपना सैटेलाइट कैसे भेज सकता है और कैसे इसके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है।

हालांकि यह प्लान सफल नहीं हो पाया और आज अमेरिका चांद पर पहुंच चुका है और चांद के बारे में जानकारी प्राप्त कर चुका है।

इसके अलावा और भी कई देश चांद पर जाने की कोशिश कर रहे हैं और कई देश चांद पर पहुंच चुके हैं।

अमेरिका बनाना चाहता था एक कृत्रिम चांद

साल 1957 में अमेरिका द्वारा एक ऐसे प्रोजेक्ट को लांच किया गया जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।

जी हां एक प्रोजेक्ट अमेरिका ने 1957 में लांच किया था जिस प्रोजेक्ट के माध्यम से अमेरिका एक चांद बनाना चाहता था और अपना उपग्रह अंतरिक्ष में भेजना चाहता था।

इसकी पूरी तैयारी कर दी गई और 1957 में इस प्रोजेक्ट को लॉन्च भी किया गया। लेकिन जैसे ही यह अंतरिक्ष में पहुंचा ब्लास्ट कर गया और अमेरिका का यह प्रोजेक्ट असफल रहा।

अगर यह प्रोजेक्ट सफल हो जाता तो अमेरिका का अपना एक अलग चांद हो जाता।

हालांकि इसके बाद फिर से अमेरिका कृत्रिम चांद बनाने का प्रयास अभी तक नहीं किया है और वह भी अंतरिक्ष के चांद के बारे में भी जानकारी प्राप्त करने की लगातार कोशिश कर रहा है।

निष्कर्ष

एक समय में अमेरिका ने अंतरिक्ष के चांद को न्यूक्लियर बम से उड़ाने का फैसला किया था और खुद के चांद को अंतरिक्ष में भेजने का फैसला किया था। हमने इस आर्टिकल के माध्यम से आपको इसी बारे में अच्छे से जानकारी दी है।

उम्मीद करते हैं यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा और दी गई सारी जानकारी बिल्कुल विस्तार पूर्वक समझ में आ गई होगी। अगर यह जानकारी अच्छी लगी तो आप इसे अपने मित्रों को साझा कर सकते हैं ताकि आपके सभी दोस्त इस चौक जाने वाली बात को जान सके।

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