आज अंतरिक्ष में अनूठा परीक्षण: आज भारत ने दुनिया को सिखाया रॉकेट के मलबा हटाने का तरीका; जानें क्या होंगे लाभ

जब अंतरिक्ष में किसी रहस्यमई चीज के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए रॉकेट भेजा जाता है और वह सफल हो जाता है तो उसके बाद उस रॉकेट का क्या होता है यह बहुत कम लोग जानते हैं।

कई लोगों के दिमाग में यह सवाल भी उत्पन्न हुआ होगा कि आखिर रॉकेट कहां जाता है और यह कैसे नष्ट होता है।

इसके अलावा लोग जानना चाहते हैं कि इस रॉकेट की मलबे से कभी कोई हानि हो सकती है या कोई फायदा होता है। अगर आपके दिमाग में भी यह सारे सवाल है तो आप बिल्कुल सही जगह पर है।

क्योंकि इस आर्टिकल के माध्यम से आपको बताया जाएगा कि रॉकेट का मलवा रॉकेट लॉन्च होने के बाद कहां जाता था और भारत ने अपने रॉकेट को लॉन्च करने के बाद मलबे को कहां भेजा।

क्योंकि पहले रॉकेट का मलबा अंतरिक्ष में ही घूमता रहता था लेकिन अब इसे जमीन पर उतार दिया जाता है और जल्द ही नष्ट कर दिया जाता है।

आइए हम आपको विस्तार पूर्वक यह सारा प्रोसेस बताते हैं कि आखिर वैज्ञानिकों द्वारा ऐसा क्यों किया जाता है और कैसे किया जाता है। बस सारी जानकारी प्राप्त करने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ते रहे।

रॉकेट की मलबे को पहले रखा जाता था अंतरिक्ष में

आज से कुछ समय पहले जब अंतरिक्ष में किसी तरह का रॉकेट भेजा जाता था तो रॉकेट के सफल होने के बाद इसके मलबे को अंतरिक्ष में ही और ऊपर भेज दिया जाता था और वहीं पर छोड़ दिया जाता था।

इसके बाद रॉकेट का मलवा लगातार अंतरिक्ष में कई सालों तक घूमता रहता था और पृथ्वी के चक्कर काटता रहता था।

रॉकेट की इस मलबे से सामान्य स्थिति में कोई नुकसान नहीं था लेकिन जब हम दूसरा रॉकेट अंतरिक्ष में भेजते हैं तो वह रॉकेट का मलवा हमारे दूसरी रॉकेट से टकरा सकता है और हमारा दूसरा रॉकेट सफल होने से वंचित रह सकता है।

यह खतरा हमेशा बना रहता है की जितनी भी लॉकेट के मलबे अंतरिक्ष में घूम रहे हैं उनसे हमारा रॉकेट टकरा सकता है और यह सफल होने से वंचित रह सकता है।

हालांकि जब अंतरिक्ष में वैज्ञानिकों द्वारा रॉकेट लॉन्च किया जाता है तो उस समय से पहले रॉकेट की दिशा की स्थिति जांच ली जाती है और पता कर लिया जाता है कि‌ हमारे द्वारा लांच किए जा रहे रॉकेट के रास्ते के बीच कुछ आ तो नहीं रहा। जिस वजह से यह खतरा काफी कम रहता है।

भारत ने दुनिया को सिखाया रॉकेट की मलबे को नष्ट करने का नया तरीका

भारत ने रॉकेट के मलबे के खतरे को अब पूरी तरह खत्म कर दिया है। भारत ने जो हाल ही में अपना रॉकेट सफलतापूर्वक लॉन्च किया था।

उसके मलबे को अंतरिक्ष में ऊपर छोड़ने की बजाय पृथ्वी के अंतिम कक्ष में लाकर छोड़ दिया गया है।

वैज्ञानिकों का यह कहना है कि यह अगले 2 महीने से पृथ्वी के अंतिम कक्ष में लगातार घूमता रहेगा और 2 महीने के बाद अपने आप नष्ट हो जाएगा।

इससे किसी भी चीज पर कोई असर नहीं पड़ेगा और यह अंतरिक्ष में सालों तक घूमने की वजाय मात्र 2 महीने में नष्ट हो जाएगा।

भारत का यह खोज दुनिया को काफी पसंद आया और दुनिया के सभी वैज्ञानिक संगठन अब अपने रॉकेट को लॉन्च करने के बाद उसके मलबे को अंतरिक्ष में और ऊपर ले जाने की बजाय थोड़ा सा नीचे ले आकर पृथ्वी के अंतिम कक्ष में भ्रमण करने के लिए छोड़ देते हैं।

उसे इस तरीके से सेट कर देते हैं कि यह 2 महीने के बाद खुद ब खुद नष्ट हो जाए।

इससे होंगे यह लाभ

अगर रॉकेट की मलबे को अंतरिक्ष में ले जाकर छोड़ दिया जाता है तो यह दूसरे रॉकेट के लिए खतरा बन जाता है और उससे टकरा सकता है।

इसके अलावा यह और भी कई उपग्रह से टकरा सकता है और अंतरिक्ष में खलबली मचा सकता है।

इसीलिए अब रॉकेट की अंतरिक्ष में नहीं बल्कि पृथ्वी के अंतिम कक्ष में छोड़ा जाता है और इसे 2 महीने के बाद नष्ट कर दिया जाता है।

इससे क्या फायदा है कि अब किसी भी रॉकेट का मलवा किसी दूसरे रॉकेट से नहीं टकराएगा और ना ही यह किसी ग्रह या उपग्रह से टकरा सकता है।

जहां यह सालों साल तक अंतरिक्ष में घूमता रहता था वहां अब यह मात्र 2 महीने में नष्ट हो जाएगा।

निष्कर्ष

आज हमने आपको अपने इस आर्टिकल के माध्यम से बताया है कि पहले रॉकेट के लॉन्च होने के बाद उसके मलबे को क्या किया जाता था और अब उसका क्या किया जाता है। इसके अलावा हमने आपको यह भी बताया है शशकि पहले के मुकाबले अब वाली प्रक्रिया से क्या फायदा है।

उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया होगा और दी गई जानकारी विस्तार पूर्वक अच्छे से समझ में आ गई होगी। जानकारी पसंद आने पर आप इसे अपने मित्रों के साथ साथ अपने सोशल मीडिया पर शेयर जरूर करें।

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