Chandrayaan-3: खास क्यों है चंद्रमा का वह स्थान जहां उतरेगा चंद्रयान-3, दस दिन बाद भारत रचेगा इतिहास

Chandrayaan 3 Landing Date : “चंद्रयान-3” की लॉन्चिंग के साथ ही भारत ने अपने विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र में एक नया अध्याय खोल दिया। अब चंद्रयान चांद की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर चुका है और उसका अगला महत्वपूर्ण कदम है सॉफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया। आधिकारिक जानकारी के अनुसार, ISRO द्वारा दिया गया बताया है कि “विक्रम लैंडर” अपनी लैंडिंग प्रक्रिया को शुरू करने के लिए चांद पर 10 दिनों के अंतराल के बाद कार्रवाई करेगा।

चांद की उस स्थल का चयन, जहाँ “विक्रम लैंडर” द्वारा सॉफ्ट लैंडिंग की योजना है, बहुत ही महत्वपूर्ण है और यह कारण बनता है कि वह खास है। यह स्थल विज्ञानियों के लिए चुनने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। एक संभावित कारण यह हो सकता है कि यह स्थल विज्ञानियों को उस समय की भूमि की विशेषताओं का अध्ययन करने की अनुमति देता है, जब वह चांद पर पहुंचते हैं।

यह स्थल चांद की भूमि पर कुछ नए खगोलशास्त्रीय अनुसंधानों के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकता है, जो हमें इस उच्च ग्रहण क्षेत्र के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं। इसके साथ ही, यह सॉफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया भी बहुत महत्वपूर्ण है।

क्योंकि यह भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण कदम हो सकता है और विज्ञानियों को चांद की सतह के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने का अवसर प्रदान कर सकता है। इस प्रकार, “चंद्रयान-3” की लैंडिंग के प्रसंग में चयनित स्थल का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है जो विज्ञान के क्षेत्र में नए और महत्वपूर्ण ज्ञान की प्राप्ति को संभावित बना सकता है।

चांद की जिस साइट पर चंद्रयान उतरेगा वो काफी खास है, ऐसा क्यों है आइए जानते हैं…

दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा चंद्रयान

Chandrayaan 3 Landing Date :”चंद्रयान 3″ का प्रमुख लक्ष्य चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करना है, और इसकी सफलता के साथ भारत विश्व में पहला देश बन सकता है जिसने इस प्रकार की उपलब्धि हासिल की है। यह उद्देश्य चांद के उन ऐतिहासिक क्षेत्रों में से एक है जिन्हें अब तक किसी ने अनुभव नहीं किया है।

इतिहास रच सकता है भारत

पृथ्वी से चंद्रमा का केवल एक अंश ही दिखाई देता है, जिसे हम नियर साइट कहते हैं। ऐसा भी होता है कि जो क्षेत्र दृश्यमान नहीं होता, उसे हम फार साइट के रूप में जानते हैं। आज तक जितने भी उपग्रह चांद पर उतरे हैं, वे सभी नियर साइट पर ही लैंडिंग किए गए हैं। इसका कारण यह है कि डार्क साइड पर उतरने से इसका संबंध टूटने का खतरा बना रहता है।

यदि अब भारत का चंद्रयान दक्षिणी द्रुवीय चिकित्सा परियोजना, जिसे “डार्क साइट” कहा जाता है, में सफलतापूर्वक लैंडिंग करता है, तो यह एक नये युग की शुरुआत का प्रतीक बन सकता है। इस सफलता से चंद्रयान हमें नए गहरे गुणीत और वैज्ञानिक ज्ञान की ओर अग्रसर कर सकता है, जो हमारे विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान को बढ़ावा देगा।

Chandrayaan 3 Landing Date :इसके साथ ही, यह साबित कर सकता है कि हमारे वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष शोधकर्ताओं की कठिनाइयों का सामना करने में कितनी क्षमता है और हम कितने महत्वपूर्ण मिशनों को सफलतापूर्वक पूरा कर सकते हैं। इस सफलता के साथ, चंद्रयान का “डार्क साइट” पर पहुँचना भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान की महत्वपूर्ण उपलब्धि बन सकता है, जिससे देश का गर्व महसूस हो सकता है और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करने में मदद मिल सकती है।

Chandrayaan 3 Landing Date : क्यों खास है दक्षिणी द्रुव?

दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, और इसके कारण वहाँ के बारे में अब तक किसी के पास विशेष जानकारी नहीं है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि चांद पर एक पुरानी और घनी परत हो सकती है, जो गड्ढों (क्रेटर्स) से भरी हो। यह सोचा जाता है कि इस स्थल पर चांद के बारे में नवीनतम जानकारी प्राप्त करने के लिए पुरानी परत की जाँच करना आवश्यक हो सकता है। इस कारण, यह साइट अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि अब तक किसी ने इसके बारे में जानकारी प्राप्त नहीं की है।

इसके साथ ही, चांद का वह भाग जो पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुव के समान ठंडा माना जाता है, उसकी एक विशेषता है। यहाँ उष्णता कम होने के कारण यह जगह ठंडी मानी जाती है, और इसका कारण है कि सूर्य की किरणें वहाँ तिरछी दिशा में पड़ती हैं और यह छाया में बना रहता है। यहाँ की ठंडक के कारण, वहाँ खनिज और पानी की संभावना हो सकती है, और यह बात पहली बार मून मिशन द्वारा सत्यापित हुई थी।

नासा के अनुसार, इस स्थल पर पानी और बर्फ के साथ-साथ कई अन्य प्राकृतिक संसाधन भी मौजूद हो सकते हैं। यदि यहाँ पानी पाया जाता है, तो यह पानी की कमी को दूर करने में मदद कर सकता है और रॉकेट ईंधन तैयार करने में भी सहायक हो सकता है।

Chandrayaan 3 Landing Date : चंद्रयान कब करेगा लैंडिंग

इसरो के अनुसार, चंद्रयान के ‘विक्रम लैंडर’ की अनुमानित तारीख 23 अगस्त है जब यह चांद पर सफलतापूर्वक लैंड करेगा। यदि सब कुछ अनुमानित तरीके से होता है, तो यह भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में न केवल मानवता के अन्य देशों के साथ साझा करेगा, बल्कि अमेरिका को भी प्राथमिकता देने में सक्षम हो सकता है।

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