EPS-95 Pension Increase : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (एम्प्लॉयीज प्रोविडेंट फंड आर्गेनाइजेशन) के सदस्यों को सुप्रीम कोर्ट में बड़ी राहत मिल सकती है। इसका कारण है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से एपीएफ (कर्मचारी भविष्य निधि) में योगदान करने वाले लाखों कर्मचारियों की कर्मचारी पेंशन योजना (एम्प्लॉयी पेंशन स्कीम) की पेंशन को एक झटके में 300% तक बढ़ सकती है! इसके अनुसार, ईपीएफओ ने कर्मचारियों की ईपीएस पेंशन के लिए अधिकतम वेतन की सीमा को 15,000 रुपये (मूल वेतन) तय किया है।
EPS-95 Pension Increase
नवीनतम सूचनाओं के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees’ Provident Fund Organisation) के द्वारा स्थापित सैलरी-लिमिट को समाप्त करने की मामले में गहराई से विचार कर रहा है। यह मामला विचाराधीन है और इस पर नियमित सुनवाई जारी है। उनके नए निर्णय के अनुसार, कर्मचारी पेंशन योजना (Employee Pension Scheme) में पेंशन की गणना अब अंतिम वेतन, यानी उच्चतम वेतन ब्रैकेट के आधार पर की जा सकती है। इस निर्णय से कर्मचारियों को पेंशन के अनुदान में कई गुना वृद्धि की आशा है।
इस निर्णय के अनुसार, पेंशन प्राप्त करने के लिए Employees’ Provident Fund (EPF) में 10 साल तक योगदान देना आवश्यक है। इसके अलावा, 20 साल की सेवा पूरी करने पर 2 साल का वेटेज भी प्राप्त किया जा सकता है। यह नया प्रावधान कर्मचारियों को अधिक पेंशन प्राप्त करने का एक अवसर प्रदान करता है।
इस संदर्भ में, सुप्रीम कोर्ट का निर्णय कर्मचारियों के भविष्य की आर्थिक सुरक्षा को मजबूती देने का एक कदम हो सकता है, जिससे कर्मचारियों की उम्मीदें पेंशन स्कीम के प्रति बढ़ सकती हैं।
आपकी Employee Pension Scheme पेंशन कैसे बढ़ेगी ? यहां समझें
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees’ Provident Fund Organisation) के वर्तमान नियमों के अनुसार, यदि कोई कर्मचारी 1 जून 2015 के बाद से नौकरी कर रहा है और 14 साल की सेवा के बाद पेंशन का लाभ उठाना चाहता है, तो उसकी कर्मचारी पेंशन योजना (Employee Pension Scheme) में पेंशन की गणना 15,000 रुपये के आधार पर होगी, चाहे उसकी वेतन 20 हजार रुपये हो या फिर 30 हजार रुपये हो।
पुराने फॉर्मूले के अनुसार, यदि किसी कर्मचारी की सेवा 14 साल पूरी होती है, तो उसकी पेंशन की गणना का सूत्र है – (सेवा इतिहास x 15,000 / 70)। इसका मतलब है कि अगर किसी कर्मचारी की सेवा इतिहास 14 साल पूरे होते हैं और उनकी मासिक सेवा इतनी रहती है कि उनकी पेंशन की गणना में 15,000 रुपये का उपयोग किया जाता है, तो उन्हें पेंशन की दर में कोई बदलाव नहीं होगा।
हालांकि, यदि सुप्रीम कोर्ट कर्मचारियों के पक्ष में निर्णय देता है, तो उस कर्मचारी की पेंशन में सुधार हो सकता है। इसका मतलब है कि उनकी पेंशन की गणना में अधिक राशि शामिल की जा सकती है जिससे कि उन्हें अधिक पेंशन की दर मिल सकती है
Employee Pension Scheme में बढ़ोत्तरी का उदाहरण : EPS-95 Pension Increase
सोचिए, एक कर्मचारी जिन्होंने करीब 33 सालों तक माननीय कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees’ Provident Fund Organisation) के सदस्य के रूप में सेवाएं दी हैं, उनकी आखिरी बेसिक सैलरी 50,000 रुपये प्रतिमाह है। पहले, कर्मचारी पेंशन योजना (Employee Pension Scheme) के तहत पेंशन की गणना अधिकतम 15,000 रुपये वेतन पर ही की जाती थी। इस प्रकार, पेंशन की गणना (फॉर्मूला: 33 साल + 2 = 35 / 70 × 15,000) के अनुसार केवल 7,500 रुपये होती थी। यह मौजूदा व्यवस्था के अंतर्गत उपलब्ध अधिकतम EPS पेंशन थी।
हालांकि, यहाँ आवाजाही की बात है कि पेंशन की सीमा को हटाने के बाद, अब पेंशन की गणना उनके अंतिम वेतन के आधार पर की जाएगी। इसका मतलब है कि उन्हें अब 25,000 रुपये की पेंशन मिलेगी (33 साल + 2 = 35 / 70 × 50,000 = 25,000 रुपये)। यह नई व्यवस्था के तहत उन्हें पूरी उम्र की सेवानिवृत्ति के रूप में अधिक मान्यता प्रदान करेगी।
Employees’ Provident Fund Organisation
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees’ Provident Fund Organisation) के नियमों के अनुसार, यदि कोई कर्मचारी लगातार 20 साल या उससे अधिक समय तक कर्मचारी पेंशन योजना (Employee Pension Scheme) में योगदान करता है, तो उसकी सेवा में दो साल का अवधि और जोड़ जाता है। इस तरह, जब 33 साल की सेवा पूरी होती है, तो उसके पास 35 साल की सेवा की हुई धारा EPS पेंशन की गणना की जाती है। इस प्रकार, उस कर्मचारी की सैलरी में 333 फीसदी की वृद्धि हो सकती है।
क्या है Employee Pension Scheme का पूरा मामला
कर्मचारी पेंशन योजना (Employee Pension Scheme) को 2014 में संशोधित करने का निर्णय केंद्र सरकार ने लिया था, और इस संशोधन को 1 सितंबर 2014 से प्रभावी बनाया गया था। इस बदलाव के बाद, निजी क्षेत्र के कर्मचारी ने इसे विरोध किया, और इस मुद्दे पर वर्ष 2018 में केरल उच्च न्यायालय में विचार विमर्श हुआ था। इन कर्मचारियों ने यह दावा किया कि यह संशोधन EPS (Employee Pension Scheme) और EPF (Employees’ Provident Fund) अधिनियम, 1952 की प्रावधानिकताओं को कमजोर करता है, जिससे उनकी पेंशन की सुरक्षा कम हो सकती है। उन्होंने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees’ Provident Fund Organisation) के नियमों के खिलाफ आपत्ति दर्ज की और यह कहा कि यह संशोधन उनके भविष्य की सुरक्षा को कमजोर कर सकता है।
Employees’ Provident Fund Organisation
क्योंकि यह तय हो गया है कि वेतन 15 हजार से अधिक हो या न हो, EPS पेंशन की गणना में अधिकतम 15 हजार रुपये का ही मान्यता दी जाए। यह निर्णय केंद्र सरकार द्वारा 1 सितंबर 2014 को किए गए संशोधन से पहले यह राशि 6,500 रुपये थी। कर्मचारी पेंशन योजना (Employee Pension Scheme) के नियमों को अनुचित मानते हुए, केरल उच्च न्यायालय ने कर्मचारियों की रिट को स्वीकार करने का निर्णय दिया था। इसके परिणामस्वरूप, EPFO ने सुप्रीम कोर्ट में एक एसएलपी दाखिल किया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। अब इस मामले की पुनर्विचार की प्रक्रिया चल रही है! कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees’ Provident Fund Organisation) कर्मचारियों को शीघ्र ही खुशखबरी प्राप्त कर सकती है!
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