लैंडर मॉड्यूल में लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान शामिल हैं जो अब एक ऐसी कक्षा में उतरने के लिए तैयार है जिससे यह चंद्रमा की सतह के और करीब आ जाएगा। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग अगले बुधवार को शाम 5.47 बजे निर्धारित है। वहीं आज शाम लैंडर मॉड्यूल के भारतीय समयानुसार शाम करीब चार बजे डीबूस्टिंग (गति कम करने की प्रक्रिया) से गुजरते हुए चंद्रमा की कक्षा में थोड़ा और नीचे आने की उम्मीद है।
Chandrayaan-3 चंद्रमा की दूरी 30 किलोमीटर
इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि लैंडर को एक ऐसी कक्षा में लाने के लिए डीबूस्ट किया जाएगा। यानी उसकी गति को कम किया जाएगा। इसके बाद यहां से चंद्रमा की दूरी 30 किलोमीटर रह जाएगी। सबसे कम दूरी से ही 23 अगस्त को चंद्रयान की सॉफ्ट लैंडिंग होगी। लैंडर को 30 किलोमीटर की हाइट से चंद्रमा की सतह पर लैंड कराने की प्रक्रिया काफी महत्वपूर्ण होगी।
लैंडर विक्रम ने चंद्रयान-3 को कहा बाय-बाय, जानिए अब अगले 7 दिन क्या होगा
- चंद्रयान-1 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर एम अन्नादुरई ने बताया कि चंद्रयान-3 से नई यात्रा शुरू हो रही है।
- चंद्रयान-2, 2019 में सॉफ्ट लैंडिंग में असफल रहा, लेकिन अब चंद्रयान-3 से सफलता की उम्मीद है।
- चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग के साथ, भारत तकनीक में महारत हासिल करने वाला चौथा देश बन सकता है।
- इसके साथ ही, रूस का लूना-25 भी चंद्रमा पर उतरने की तैयारी में है।
- जिससे मून मिशन की नई रेस शुरू हो गई है।
- चंद्रयान-3 और लूना-25 के उतरने की संभावित तारीखों से वैज्ञानिक समुदाय में उत्साह बढ़ा है।
- चंद्रयान-3 के सफलता से, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पानी की मौजूदगी की जांच हो सकती है।
- चंद्रमा के पोलर रीजन का महत्व बढ़ा है, क्योंकि वहां पानी की संभावना हो सकती है।
- जो नए खोजों का द्वार खोल सकता है।
- चंद्रयान-3 की सफलता से, भारत पहला देश बन सकता है जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करता है।
- सभी देश आकर्षित हैं कि विक्रम और प्रज्ञान के मिशन से क्या नया ज्ञान हासिल होगा।
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