Success Story of Green House Farming : हजारीबाग जिले के दाढ़ी और चुरचू प्रखंड के अनेक गांवी स्वरोजगार की दिशा में नए दिन देख रहे हैं। यहाँ के पूर्वत्य निवासियों को पहले हर दिन शहरों में मजदूरी की तलाश करनी पड़ती थी, लेकिन अब उनके हाथों में ग्रीनहाउस खेती की तकनीक से नए और आधुनिक रासायनिक कृषि का प्रयोग हो रहा है। इस परिवर्तन से अब दोनों प्रखंडों में कई किसान लखपति किसानों की श्रेणी में शामिल हो गए हैं।
झारखंड के हजारीबाग जिले के चुरचू और दाढ़ी प्रखंड के किसानों की किस्मत अब स्वरोजगार से चमक रही है। पहले, 2015 के पूर्व, इन प्रखंडों के विभिन्न गांवों के ग्रामीण रोजगार की तलाश में हर दिन शहरों में मजदूरी के लिए जाते थे। अनिल हेम्ब्रम और महिला मुर्मू जैसे गांवी भी इस श्रेणी में आते थे। इन लोगों को आजीविका के अधिकार में कोई साधन नहीं मिलने से उन्हें शहरों में मजदूरी का सहारा लेना पड़ता था।
Success Story of Green House Farming
पहले, इन गांवों के लोगों के पास दिनभर की आजीविका के लिए दो वक्त की आग का चूल्हा होता था। मौसम के अनुसार, कुछ ग्रामीण अपनी जमीनों पर पारंपरिक खेती भी करते थे, लेकिन यह आय किसी भी परिवार को पर्याप्त नहीं थी। इसके कारण, कई बार इन लोगों को बड़े शहरों या अन्य राज्यों में नौकरी की तलाश करनी पड़ती थी। अब, चुरचू और दाढ़ी प्रखंड के कई गांवों की स्थिति में सकारात्मक परिवर्तन दिख रहा है।
परंपरागत खेती में मुश्किलें ज्यादा, मुनाफा कम
महिमा मुर्मू बताती है कि-
- पहले खुले में खेती करने से फसल कीड़ों से नुकसान होने की समस्या थी।
- लेकिन ग्रीनहाउस तकनीक ने इसे हल किया।
- ग्रीनहाउस के आगमन से पैदावार में सुधार हुआ, पानी की खपत भी कम हो गई है।
- नवीनतम तकनीकों का उपयोग करके खेती से आमदनी में 70 हजार से एक लाख रुपए की वृद्धि होती है।
- पहले, मनचाही आय बनाने के लिए मेहनत-मजदूरी पर घरवालों को आश्रित रहना पड़ता था।
ग्रीनहाउस तकनीक से सालो भर खेती संभव
दाढ़ी प्रखंड के श्री अनिल हेम्ब्रम ने बताया कि उनके अनुसार-
- ग्रीनहाउस तकनीक से खेती करने से किस्मत ही बदल गई।
- पहले सिर्फ बारिश के मौसम में ही खेती संभव था।
- लेकिन अब हर मौसम में खेती करना संभव हो पाया है।
- ग्रीन हाउस तकनीक से खेती करने से जानवरों से भी बचाव संभव हो पाता है।
- जो पहले किसानों के लिए समस्या बनते थे।
यह तकनीक किसानों को अब साल भर में टमाटर, मिर्च, हरी सब्जियों की खेती का अवसर प्रदान करती है।
2015 में छोटे किसानों को लाभ दिलाने की शुरुआत
- ‘खेती’ संस्था ने सहायता से हैदराबाद की संस्था ‘खेती’ ने सिनी टाटा ट्रस्ट की मदद से एक योजना शुरू की।
- इस योजना को चुरचू और दाढ़ी प्रखंड में धरातल पर उतारा गया।
- वर्ष 2015 में पहल संगठन ने 2015 में छोटे किसानों के लिए विशेष पहल की, ताकि उन्हें मुनाफा हो सके।
- परंपरागत तरीके से किसान पहले खेती करते थे, लेकिन मुनाफा नहीं मिलता था, जिससे परेशानियाँ थीं।
- ग्रीनहाउस तकनीक उनकी मदद के लिए ‘खेती’ संस्था ने हैदराबाद में ग्रीनहाउस तकनीक की ज्ञान प्रदान किया।
- लखपति किसान बनाने की परिणामस्वरूप, दोनों प्रखंडों में अब दर्जनों किसान ‘लखपति’ किसानों की श्रेणी में आ गए हैं।
- इस पहल से किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है और उन्हें सुरक्षित मुनाफा मिल रहा है।
जानिये Green House (ग्रीनहाउस तकनीक) है क्या ?
Green House तकनीक एक प्रकार की कृषि तकनीक है जिसमें वनस्पतियों को उचित वातावरण और तापमान में बढ़त के लिए स्थापित किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य पौधों को बेहतर प्राकृतिक शर्तों में उगाने का सुनिश्चित करना होता है ताकि उनकी उपज और विकास में सुधार हो सके।
ग्रीनहाउस तकनीक में एक खास प्रकार का सांड या कागज का सिलेंडर बनाया जाता है, जिससे वनस्पतियों को उचित गर्मी, प्रकाश और हवा प्रदान किया जा सकता है। इस प्रकार, पाधपीट या बीज से लेकर पूरे पौधों का पालन किया जा सकता है, जिससे उनकी वृद्धि तेजी से होती है और उनकी उत्पादनता बढ़ती है।
ग्रीनहाउस तकनीक से कृषि उत्पादन में वृद्धि होती है क्योंकि यह पौधों को नकली प्राकृतिक माहौल प्रदान करता है, जिसमें वे अपने सर्वोत्तम विकास की संभावना होती है। यह तकनीक विशेष रूप से उन क्षेत्रों में उपयोगी होती है जहाँ प्राकृतिक तत्वों में अधिक परिवर्तन होता है या जहाँ तापमान या अन्य मौसमी दशाओं का असर होता है।
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