RBI NEWS – बढ़ती महंगाई ने आम जनता के बजट को प्रभावित किया है, जिसके परिणामस्वरूप आर्थिक स्थिति में एक बदलाव आया है। इस परिस्थिति में, RBI Governor ने एक महत्वपूर्ण अपडेट किया है, जिसका असर ईएमआई धारकों पर हो सकता है। इस नए अपडेट के तहत, ईएमआई धारकों को नए दिशानिर्देश और नियमों का पालन करने की आवश्यकता हो सकती है। इस विकल्प की पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए, संबंधित खबर को विस्तार से पढ़ना महत्वपूर्ण हो सकता है। पिछले एक-दो महीने से पहले, टमाटर की कीमतों ने और फिर प्याज कीमतों ने आम जनता के बजट को प्रभावित किया था। इसके बाद, आम जनता ने अब तक इन खाद्य पदार्थों की कीमतों को नियंत्रित करने में सफलता पाई है। हालांकि, इस दौरान इन खाद्य पदार्थों की मूल्य वृद्धि की तेजी से बढ़ गई थी, जिससे अब आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) को चिंता हो रही है।
RBI NEWS : EMI भरने वालों को तगड़ा झटका
वास्तव में, खाद्य पदार्थों के मूल्यों की तेजी से बढ़ने के कारण, आरबीआई को ब्याज दरों को बढ़ाने की आवश्यकता हो सकती है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस संकेत को दिए हैं। उन्होंने एक बैठक में इस चिंता का जिक्र किया है। शक्तिकांत दास ने यह कहा है कि खासकर टमाटर कीमतों में हुई तेजी ने उन्हें चिंतित किया है। इस पर आधारित रूप से, आरबीआई की दिशा में ब्याज दरों को बढ़ाने की संभावना हो सकती है।
RBI Governor शक्तिकांत दास ने बताया कि खाद्य कीमतों में तेजी के कारण मुद्रास्फिति को संभालना अब कठिन हो गया है। उनके अनुसार, ऐसे झटकों को संभालने के लिए समय की आवश्यकता होती है। हालांकि वर्तमान में कीमतें स्थिर हैं, लेकिन डिमांड और सप्लाई के बैलेंस में हुआ दरार को पूरी तरह से सुधारने में समय लगेगा।
दिसंबर 2022 से जारी है बढ़ोतरी का दौर-
- विशेष रूप से सब्जियों के दामों में दिसंबर 2022 से वृद्धि की जानकारी है।
- यह बढ़ोतरी ने खाने-पीने की चीजों की महंगाई में असर डाला है।
- आने वाली एमपीसी बैठक में भी यह विषय महत्वपूर्ण हो सकता है।
- आरबीआई ने महंगाई को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाए हैं।
- ब्याज दरों को तीन महीनों से स्थिर रखकर लोगों को राहत दी है।
- अप्रैल, जून, और अगस्त में ब्याज दरों में कोई वृद्धि नहीं की गई।
रुस-यूक्रेन वार से जारी है संघर्ष-
- आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अपने बयान में प्राथमिकता दिलाई है –
- केंद्रीय बैंक मुद्रास्फति की 4% पर बनाए रखने की।
- पिछले साल के रुस-यूक्रेन युद्ध के समय, मुद्रास्फति में असंतुलन होने से उन्हें व्याज दरों में बढ़ोतरी की आवश्यकता पड़ी।
- इसके परिणामस्वरूप, रेपो रेट 6.50% तक बढ़ गया ताकि मुद्रास्फति की स्थिति से निपट सकें।
- RBI को रुस-यूक्रेन युद्ध के दौरान मुद्रास्फति के असंतुलन के समय में व्याज दरों में बढ़ोतरी की जरूरत पड़ी।
- महंगाई की एक और चुनौती ने आरबीआई के प्रयासों को कठिनाईयों के साथ कर रही है।
- जो महंगाई को कम करने को बाधित कर रही है।
पूरे मामले में, शक्तिकांत दास ने अपने बयान में आरबीआई की मुद्रास्फति को स्थिर रखने की महत्वपूर्णता पर जोर दिया है, जबकि रुस-यूक्रेन युद्ध ने उनके व्याज दरों में वृद्धि के लिए मजबूर किया था। वे महंगाई के चुनौतियों को भी उभारते हैं और उनके प्रयासों को कठिनाईयों के बावजूद महंगाई को कम करने के दिशा में एक सकारात्मक कदम बढ़ाने की दिशा में संकेत करते हैं।
Disclaimer :- हम जानते हैं कि सोशल मीडिया पर बहुत सी ऐसी खबरें वायरल होती हैं। इसलिए हम सभी को सतर्क रहने की सलाह देते हैं। हम चाहते हैं कि आप आधिकारिक स्रोतों से जाँच करें और खबर की सटीकता को सुनिश्चित करें। क्योंकि यहां दी गई जानकारी के लिए “examresultup.com” कोई ज़िम्मेदारी नहीं स्वीकार करता है।