Lawyer: जानिए लॉयर कैसे बने और इसके लिए क्या एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया है |

Lawyer: वकील को अभिभाषक, अधिवक्ता और अंग्रेजी में एडवोकेट भी कहा जाता है। वकील का कार्य अपने और दूसरों के अधिकारों की संरक्षण के लिए कानूनी युद्ध लड़ना होता है। वकील के द्वारा कानून के मामले में न्यायालय में किसी दूसरे व्यक्ति के स्थान पर दलील प्रस्तुत की जाती है। बहुत सारे लोगों के पास अपनी बात को प्रभावपूर्ण तरीके से साबित करने की क्षमता, कौशल, ज्ञान, और भाषा कौशल नहीं होते हैं, इसलिए न्यायालय में अपने पक्ष की रक्षा के लिए वकील या अधिवक्ता की आवश्यकता होती है।

हमारे देश में ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो कानून के बारे में जानकारी प्राप्त करने और इस क्षेत्र में अपना करियर बनाने की इच्छा रखते हैं। वे अपने और दूसरों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए कानूनी युद्ध लड़ने की इच्छा रखते हैं। ऐसे व्यक्तियों के लिए वकील या अधिवक्ता बनना एक बेहतर विकल्प हो सकता है।

वकील या अधिवक्ता बनने के लिए विभिन्न प्रमाणपत्र और योग्यता की आवश्यकता होती है। इसके लिए आयुसीमा, शैक्षिक योग्यता, और अन्य मान्यता प्राप्त करने की आवश्यकताएं होती हैं।

एलएलबी क्या है (LLB Kya Hai)

एलएलबी एक बैचलर डिग्री होती है, जिसका पूरा नाम “बैचलर ऑफ़ लॉ” होता है। इसमें कानून के विभिन्न पहलुओं पर पढ़ाई की जाती है, और इस डिग्री को प्राप्त करने के लिए सबसे पहले आपको इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करनी होती है, जिसमें आप आर्ट्स, कॉमर्स, या साइंस के किसी भी विषय के साथ वकालत की पढ़ाई कर सकते हैं।

इंटरमीडिएट पास करने के बाद, आप एक प्रवेश परीक्षा देने के बाद वकील बनने की पढ़ाई कर सकते हैं। आल इंडिया लेवल पर क्लैट (CLAT) या “कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट” में भाग लेने का अवसर होता है। इस परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के बाद, आप विभिन्न लॉ कॉलेजों में प्रवेश प्राप्त कर सकते हैं, और वहां पांच वर्ष की वकालत की पढ़ाई कर सकते हैं।

इस प्रवेश परीक्षा में एक सामान्य परीक्षा होती है, जिसमें गणित, अंग्रेजी, लॉजिकल रीजनिंग, लीगल एप्टीट्यूड, और जनरल अवेयरनेस से संबंधित सवाल पूछे जाते हैं।

LLB का Full Form क्या है

LLB का पूरा नाम होता है “Legum Baccalaureus,” जो एक लैटिन शब्द है. हालांकि आमतौर पर इसे “बैचलर ऑफ लॉ” के रूप में संदर्भित किया जाता है।

वकील की शैक्षिक योग्यता एवम आयुसीमा 

  • आपके पास एक इंटरमीडिएट पास प्रमाणपत्र होना चाहिए, जिसमें 50 प्रतिशत अंक हों।
  • तीन वर्षों की वकालत की पढ़ाई के लिए स्नातक पास होना आवश्यक है।
  • अगर आप स्नातक के बाद कानून की पढ़ाई करना चाहते हैं, तो स्नातक में 50 प्रतिशत अंक होने चाहिए।
  • कानून की पढ़ाई के लिए न्यूनतम आयु 20 वर्ष होनी चाहिए।

वकील बनने के लिए कोर्स (Course to become a lawyer)

पाठ्यक्रम अवधि
एलएलबी तीन वर्ष
बीए एलएलबी (ऑनर्स) पांच वर्ष
बीएससी एलएलबी (ऑनर्स) पांच वर्ष
बीकॉम एलएलबी (ऑनर्स) पांच वर्ष
एलएलएम दो वर्ष

वकील कितने प्रकार के होते हैं?

वकील कितने प्रकार के होते हैं, यह नीचे बताया गया है-

  • जूनियर वकील
  • सीनियर वकील
  • वरिष्ठ वकील
  • फैमिली वकील
  • सरकारी वकील
  • प्राइवेट वकील
  • लोअर, जिला एवं हाई कोर्ट का वकील
  • सुप्रीम कोर्ट का वकील

भारतीय लॉ यूनिवर्सिटीज

यूनिवर्सिटीज सालाना फीस (INR)
नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी 2.13 लाख
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी 1.63 लाख
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी 1.20 लाख
नालसर यूनिवर्सिटी आफ लॉ 2.42 लाख
कलिंंगा यूनिवर्सिटी 1.30 लाख

एलएलबी कोर्स के प्रकार (Types of LLB Course)

एलएलबी के पाठ्यक्रम में दो प्रकार के पाठ्यक्रम होते हैं। इंटरमीडिएट परीक्षा पास करने के बाद, वकालत की शिक्षा प्राप्त करने के लिए छात्रों को 5 वर्षीय पाठ्यक्रम का अध्ययन करना होता है। स्नातक की डिग्री के बाद, यदि कोई व्यक्ति वकालत की शिक्षा प्राप्त करता है, तो यह पाठ्यक्रम 3 वर्ष का होता है। एलएलबी की पढ़ाई के साथ ही, छात्रों को किसी विशेष विभाग में योग्यता प्राप्त करनी होती है, जैसे साइबर लॉ, फैमिली लॉ, बैंकिंग लॉ, टैक्स लॉ, कॉर्पोरेट लॉ, पेटेंट लॉ, क्रिमिनल लॉ, इंटरनेशनल लॉ, लेबर लॉ, रीयल एस्टेट लॉ, आदि, ताकि वे आगे जाकर उस विशेष विषय क्षेत्र में वकालत के लिए चयन कर सकें।

लॉ के अंतर्गत स्पेशलाइजेशन

  • साइबर लॉ
  • फैमिली लॉ
  • बैंकिंग लॉ
  • टैक्स लॉ
  • क्रिमिनल लॉ
  • कॉरपोरेट लॉ
  • पेटेंट अटॉर्नी

वकालत प्रशिक्षण (Law Internship)

जब आप अपनी कानून की पढ़ाई पूरी करते हैं, तो आपको अपने वकालत करने के लिए तैयार होने के लिए कोर्ट और कचहरी से संबंधित प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। इसके लिए, आपको एक इंटर्नशिप करना आवश्यक होता है, जिसके दौरान आपको कचहरी से संबंधित जानकारी प्राप्त होती है। कचहरी में काम कितने प्रकार के हो सकते हैं? कोर्ट में दो वकीलों के पक्ष और विपक्ष के बीच कैसे विवाद होते हैं? और कोर्ट में सुनवाई कैसे प्रारंभ होती है? इन सभी मुद्दों के संबंध में इंटर्नशिप के दौरान आपको शिक्षा प्राप्त होती है।

स्टेट बार काउंसिल के लिए पंजीकरण (Enrollment for State Bar Council)

इंटर्नशिप पूरी करने के बाद, आपको अपने राज्य के बार काउंसिल में पंजीकरण करवाना आवश्यक होता है। इस पंजीकरण के बाद, आपको ऑल इंडिया बार एग्जामिनेशन की परीक्षा पास करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह परीक्षा बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित की जाती है।

इस परीक्षा को पास करने के बाद, आपको वकालत करने के लिए प्रमाणपत्र प्राप्त हो जाता है, और आप वकालत की प्रैक्टिस शुरू कर सकते हैं। इसके बाद, यदि आप चाहें, तो आप मास्टर इन लॉ (एलएलऍम) की पढ़ाई कर सकते हैं। इस तरीके से, आपकी वकील बनने की प्रक्रिया पूरी हो जाती है।

ऑल इंडिया बार परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम

ऑल इंडिया बार एग्जामिनेशन की परीक्षा में 100 प्रश्न प्रश्नपत्र में होते हैं, जो बार काउंसिल द्वारा 3 और 5 वर्षीय एलएलबी के निर्धारित पाठ्यक्रम से पूछे जाते हैं और सभी प्रश्न बहुविकल्पीय होते हैं। परीक्षा की समय अवधि साढ़े तीन घंटे की होती है। परीक्षा में पूछे जाने वाले संपूर्ण पाठ्यक्रम को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है, जिसमें दोनों प्रकार की श्रेणियों में संपूर्ण पाठ्यक्रम को 1 से 20 अध्याय के बीच विभाजित किया गया है। पहली श्रेणी में 1 से 11 तक के अध्याय होते हैं, जिससे प्रत्येक अध्याय से सात प्रश्न पूछे जाते हैं। दूसरी श्रेणी में 12 से 20 अध्याय होते हैं, जिसमें से 23 प्रश्नों के उत्तर देने होते हैं। ऑल इंडिया बार काउंसिल परीक्षा नौ भाषाओं में होती है, जिनमें हिन्दी, तेलुगु, बंगाली, गुजराती, उड़िया, तमिल, कन्नड़, मराठी, और अंग्रेजी भाषा शामिल है।

वकालत के व्यवसाय में अन्य बेहतर विकल्प

  • इंटरनेशनल लॉयर (International Lawyer)

  1. इस कानून के अंतर्गत, दो देशों के बीच उत्पन्न होने वाली समस्याओं का समाधान होता है।
  2. यह कानून अंतरराष्ट्रीय घटनाओं के लिए विशेषकर रुचि रखने वाले व्यक्तियों के लिए थोपा गया है।
  3. इसका उद्देश्य राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा और सहयोग को प्राथमिकता देना है।
  4. समस्याओं के निराकरण के लिए कानूनी तरीकों का प्रयोग किया जाता है।
  5. इसका प्राथमिक ध्यान विश्व संघ के सदस्य देशों के बीच समर्थन का है।
  6. इस प्रक्रिया के माध्यम से दोनों देशों के बीच सँगठन और सहयोग बढ़ सकता है।
  7. यह कानून अंतरराष्ट्रीय संघटनाओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  8. इसका उद्देश्य गोलियां और संघर्ष की जगह सुलझाव और सहमति है।
  9. समस्याओं के निराकरण के लिए विभिन्न कानूनी माध्यमों का इस्तेमाल होता है।
  10. यह कानून विश्व शांति और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण योगदान करता है।
  • कॉरपोरेट लॉयर (Corporate Lawyer)

  1. कॉरपोरेट वकीलों का मुख्य कार्य है विभिन्न उद्योगों के कर सम्बन्धी समस्याओं का समाधान करना।
  2. इन विशेषज्ञों की मांग बढ़ चुकी है, क्योंकि कॉरपोरेट क्षेत्र में विशिष्ट योग्यता की आवश्यकता होती है।
  3. उनका काम विभिन्न प्रकार के उद्योग व्यापारों की समस्याओं का समाधान करना होता है।
  4. ये कॉरपोरेट वकील विभिन्न विधियों और विनियमों का भी पालन करते हैं।
  5. उनका आदर्शी योग्यता, कर्मियों को सहायक और सुरक्षित बनाने में मदद करता है।
  6. इन पेशेवरों का आदर्शी समाधान उद्योग और संगठनों के लिए निर्माणकारी होता है।
  7. वे संज्ञान रखते हैं कि सभी विधियाँ और नियमों का पूरा पालन किया जाता है।
  8. कॉरपोरेट वकीलों का काम समस्याओं को सुलझाने में उद्योगों का सहायक रहता है।
  9. उनके अद्वितीय ज्ञान और कौशल से कम्पनियों को स्थिरता और समृद्धि मिलती है।
  10. इसलिए, कॉरपोरेट लॉयर्स की आवश्यकता आज बढ़ती जा रही है और उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है।
  • एन्वॉयरनमेंटल लॉयर (Environmental Lawyer)

  1. प्राकृतिक संसाधनों के हानि से बचाने के लिए आवश्यक एन्वॉयरनमेंट लॉ में जातिवाद दिया जाता है.
  2. इस प्रकार के मामलों में, लोगों द्वारा पब्लिक इंटरेस्ट के लिए मुद्दे दायर करते हैं.
  3. यहां, एन्वॉयरनमेंटल लॉ में दक्ष वकीलों की आवश्यकता होती है, जिनकी मांग बढ़ती है.
  4. ऐसे मामलों में, एनजीओ द्वारा एन्वॉयरनमेंटल लॉयरों की अधिक मांग होती है.
  5. इन कार्यों के माध्यम से प्रकृति की रक्षा का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया जाता है.
  • साइबर लॉयर (Cyber Lawyer)

  1. आधुनिक समय में ऑनलाइन और साइबर अपराधों में वृद्धि के कारण नकली ईमेल और धमकी भरे संदेश बढ़े हैं।
  2. सॉफ़्टवेयर चोरी, एसएमएस हैकिंग, धोखाधड़ी कंपनियों के साथ कारण हैं।
  3. मोबाइल क्लोनिंग जैसे अपराधों के कारण कंप्यूटर और नेटवर्क सुरक्षा का महत्व बढ़ गया है।
  4. इससे साइबर क्राइम के खिलाफ सुरक्षा उपायों का विकास और लागू किया जा रहा है।
  • पेंटेट एंड कॉपीराइट लॉयर (Patient & Copyright Lawyer )

  1. पेटेंट के अंतर्गत नई खोज से बने प्रोडक्ट पर एकाधिकार प्राप्त होता है।
  2. उत्पाद निर्मित करने के लिए पार्टी को लाइसेंस चाहिए और रॉयल्टी देनी पड़ती है।
  3. इसमें सहायक डिशा-निर्देशन के लिए एक पेटेंट वकील की आवश्यकता होती है।
  • लेबर लॉयर (Labor Lawyer )

  1. लेबर लॉयर करियर: यह क्षेत्र अधिकारों के पक्ष में समस्याओं के समाधान के लिए उपयोगी है।
  2. कर्मचारियों के अधिकार: लेबर लॉ उनके अधिकारों की सुरक्षा करने में मदद करता है।
  3. समस्याओं का समाधान: इस क्षेत्र के माध्यम से कामगारों की समस्याओं का समाधान किया जाता है।
  4. न्यायालय में प्रतिपादन: उच्चतम न्यायालय में नामांकित वकील किसी भी न्यायालय के सामने प्रतिपादन कर सकते हैं।
  5. लेबर लॉ का महत्व: यह क्षेत्र कामगारों के लिए न्याय सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  6. समस्याओं की परिभाषा: वर्तमान में यहां न्यायालय में समस्याएं उठाई जा रही हैं।
  7. करियर के अवसर: यह क्षेत्र वकीलों के लिए न्यायिक करियर के अच्छे अवसर प्रदान करता है।
  8. समाधान का माध्यम: लेबर लॉ द्वारा कामगारों के अधिकारों का सुरक्षित समाधान किया जा सकता है।
  9. सर्वोच्च न्यायालय: इसमें नामांकित वकील देश के सर्वोच्च न्यायालय में प्रतिपादन कर सकते हैं।
  10. समस्याओं का समाधान: लेबर लॉ के माध्यम से कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान हो सकता है।

Lawyer का अधिकार (Rights of Advocate)

  • वकील का महत्व: वकीलों की महत्वपूर्ण भूमिका है विभिन्न मामलों में, जैसे संपत्ति और आपराधिक मामले।
  • महाधिवक्ता की भूमिका: महाधिवक्ता, या जनरल एडवोकेट, शासकीय पक्ष का प्रतिपादन करते हैं।
  • वकील का अधिकार: वकीलों को न्यायालय में दलील प्रस्तुत करने और वाद का प्रतिपादन करने का अधिकार होता है।
  • वकील की जरूरत: लोगों की कम ज्ञान या भाषा-शक्ति के कारण, वकीलों की आवश्यकता होती है।

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