आज दूसरी बार अपनी कक्षा घटाएगा चंद्रयान-3: अभी उसकी चांद से सबसे कम दूरी 170 Km और सबसे ज्यादा दूरी 4313 Km

बुधवार के दोपहर 1 से 2 बजे के बीच, इसरो चंद्रयान-3 की दूसरी बार ऑर्बिट को कम करने की प्रक्रिया शुरू करेगा। पहली बार 6 अगस्त को रात करीब 11 बजे, चंद्रयान की ऑर्बिट को घटाया गया था। वर्तमान में यान चंद्रमा की 170 Km x 4313 Km की ऑर्बिट में स्थित है, जिसे एक अंडाकार कक्षा के रूप में वर्णित किया गया है, जिसमें चंद्रमा से न्यूनतम 170 Km और अधिकतम 4313 Km की दूरी है।

यह सफर 22 दिनों का था, जिसके बाद चंद्रयान ने 5 अगस्त को शाम करीब 7:15 बजे चंद्रमा की कक्षा में पहुंच जाता है। चंद्रयान को चंद्रमा की ग्रेविटी में कैप्चर किया जाने के लिए उसकी गति को कम किया गया था। इसके लिए, इसरो के वैज्ञानिकों ने यान के फेस को पलटकर 1835 सेकेंड तक थ्रस्टर को चलाया, जोकि लगभग आधे घंटे तक जारी रहा। इस फायरिंग की प्रक्रिया शाम 7:12 बजे को शुरू हुई थी।

चंद्रयान ने चांद की तस्वीरें कैप्चर की

चंद्रयान ने वह विशेष समय पर चंद्रमा की 164 किमी x 18,074 किमी की ऑर्बिट में प्रवेश किया था, जब उसने अपने ऑनबोर्ड कैमरों की मदद से चंद्रमा की अद्वितीय छवियों को कैप्चर किया था। इस प्रकार, इसरो ने उन चंद्र की आकृतियों को प्रमुखता देते हुए अपनी वेबसाइट पर एक वीडियो बनाकर साझा किया था। यह चित्रित तस्वीरों में चंद्रमा के विभिन्न क्रेटर्स अत्यंत स्पष्टता के साथ प्रकट हो रहे थे।

मैं चंद्रयान-3 हूं… मुझे चांद की ग्रैविटी महसूस हो रही है

इसरो ने अपने एक पोस्ट में मिशन की जानकारी साझा की थी, जिसमें बताया गया था कि चंद्रयान-3 ने मैसेज भेजा था, “मैं चंद्रयान-3 हूं… मुझे चांद की ग्रेविटी महसूस हो रही है।” इसके साथ ही इसरो ने यह भी बताया कि चंद्रयान-3 ने सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में स्थापिति प्राप्त की है। 23 अगस्त से पहले, चंद्रयान को अपनी ऑर्बिट को कम करने की कुल 4 बार आवश्यकता है, और इसमें से एक बार उसने रविवार को यह काम सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है।

थ्रस्टर तब फायर किए जब ऑर्बिट में चंद्रमा के सबसे करीब था चंद्रयान

इसरो ने बताया था कि मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (MOX), जिसका मुख्यालय बेंगलुरु में स्थित है, ने पेरिल्यून में रेट्रो-बर्निंग का कमांड यानी थ्रस्टर के अपोजिट डायरेक्शन में आग से फायर करने का कार्य किया था। पेरिल्यून एक ऐसा बिंदु होता है जो चंद्रमा के करीबी स्थान पर स्थित होता है, जिस पर यान का चंद्र कक्षा के सबसे करीब पहुंचता है। इसका उद्देश्य यान की गति को धीमी करने के लिए होता है और इसके लिए यान के थ्रस्टर को अपोजिट डायरेक्शन में आग से फायर किया जाता है।

1 अगस्त को चंद्रयान-3 पृथ्वी की कक्षा से चांद के लिए निकला था

1 अगस्त को लगभग 12 बजे रात को, चंद्रयान-3 को पृथ्वी की ऑर्बिट से चांद की दिशा में अग्रिणी दिशानिर्देशक इंजेक्शन के माध्यम से भेज दिया गया। इस प्रक्रिया को ‘ट्रांसलूनर इंजेक्शन’ कहा जाता है। इससे पहले, चंद्रयान-3 एक अंतरिक्ष में एक अंधकरण यात्रा कर रहा था, जिसकी पृथ्वी से सबसे निकटतम दूरी 236 किलोमीटर और सबसे दूर दूरी लगभग 1 लाख 27 हजार 603 किलोमीटर थी। इस उपग्रह ने 23 अगस्त को चंद्रमा पर विचरण करने का निश्चित योजना बनाया है।

ट्रांसलूनर इंजेक्शन के लिए इंजन को कुछ देर के लिए चालू किया था

बैंगलोर में स्थित ISRO के मुख्यालय से वैज्ञानिकों ने ट्रांसलूनर इंजेक्शन के लिए चंद्रयान के इंजन को थोड़ी देर के लिए सक्रिय किया था। इस इंजन का प्रयोग तब हुआ था जब चंद्रयान पृथ्वी से 236 किलोमीटर की दूरी पर पहुँचा था। ISRO ने बताया कि चंद्रयान-3 ने पृथ्वी के चारों ओर घूमकर अपनी परिक्रमा पूरी की है और अब यह चंद्रमा की ओर बढ़ रहा है। इसरो ने इस अंतरिक्ष यान को ट्रांसलूनर ओर्बिट में स्थापित कर दिया है।

चंद्रमा पर 14 दिन तक प्रयोग करेंगे लैंडर और रोवर

चंद्रयान-3 में तीन विभिन्न घटक हैं: एक लैंडर, एक रोवर, और एक प्रोपल्शन मॉड्यूल। इनमें से लैंडर और रोवर चंद्रमा के दक्षिण पोल पर उतरेंगे और वहां चौदह दिनों तक अनुशासन करेंगे। परियोजना के अंत में, प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की ओर से पृथ्वी की तरफ विमानण करते हुए आने वाले विकिरणों का अध्ययन करेगा। यह मिशन इसरो को यह जानने में मदद करेगा कि चंद्रमा की सतह पर भूकंप कैसे उत्पन्न होते हैं और इसके पीछे की प्रक्रिया क्या है। इसके साथ ही, यह चंद्रमा की भूमि की भी अध्ययन करेगा।

अब तक का चंद्रयान-3 का सफर…

  • 14 जुलाई को, चंद्रयान-3 को 170 km x 36,500 km की नई ऑर्बिट पर स्थानित किया गया।
  • 15 जुलाई को, पहली बार उसकी ऑर्बिट को बढ़ाकर 41,762 km x 173 km की ऊँचाई पर पहुँचाया गया।
  • 17 जुलाई को, दूसरी बार ऑर्बिट को बढ़ाकर उसे 41,603 km x 226 km की ऊँचाई पर ले जाया गया।
  • 18 जुलाई को, तीसरी बार चंद्रयान-3 की ऑर्बिट को बढ़ाकर उसे 5,1400 km x 228 km की ऊँचाई पर पहुँचाया गया।
  • 20 जुलाई को, चौथी बार ऑर्बिट को बढ़ाकर उसे 71,351 km x 233 km की ऊँचाई पर ले जाया गया।
  • 25 जुलाई को, पांचवीं बार ऑर्बिट को बढ़ाकर उसे 1,27,603 km x 236 km की ऊँचाई पर पहुँचाया गया।
  • 31 जुलाई और 1 अगस्त की मध्यरात्रि में, चंद्रयान ने पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की दिशा में अग्रसर होना आरंभ किया।
  • 5 अगस्त को, चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की 164 Km x 18074 Km की नई कक्षा में प्रवेश किया।
  • 6 अगस्त को, चंद्रयान की आर्बिट को घटाकर उसे 170 Km x 4313 Km की ऊँचाई पर पहुँचाया गया।

निष्कर्ष

चंद्रयान-3 की मिशन में 14 जुलाई से 6 अगस्त तक कई बार उसकी ऑर्बिट में परिवर्तन किया गया। 14 जुलाई को उसको 170 km x 36,500 km की नई ऑर्बिट पर ले जाया गया। इसके बाद, 15 जुलाई को उसकी ऊँचाई 41,762 km x 173 km तक बढ़ाई गई। 17 जुलाई को उसकी ऊँचाई को फिर से बढ़ाकर 41,603 km x 226 km की गई। 18 जुलाई को उसकी आवृत्ति को 5,1400 km x 228 km तक बढ़ा दिया गया।

20 जुलाई को उसकी आवृत्ति को और बढ़ाकर 71,351 km x 233 km की गई। 25 जुलाई को उसकी आवृत्ति को पांचवीं बार बढ़ाकर 1,27,603 km x 236 km तक पहुँचाया गया। फिर, 31 जुलाई और 1 अगस्त के बीच, चंद्रयान-3 ने पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की ओर अग्रसर होना आरंभ किया। आखिरकार, 5 अगस्त को चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया, जिसकी आवृत्ति 164 km x 18074 km थी। 6 अगस्त को, चंद्रयान की आर्बिट को घटाकर उसे 170 km x 4313 km की गई।

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